विषय
- #विलुप्ति का खतरा
- #विलुप्तप्राय प्रजातियाँ
- #जलवायु परिवर्तन
- #बाउबाब वृक्ष
- #पर्यावरण
रचना: 2024-01-29
रचना: 2024-01-29 16:48
बचपन में पढ़ी गई कहानी 'द लिटिल प्रिंस' से मैंने पहली बार बाओबाब के पेड़ के बारे में जाना था। छोटे राजकुमार के ग्रह को नष्ट करने में सक्षम इतना बड़ा पेड़, शुरू में मुझे लगा कि यह सिर्फ़ कहानी में ही मौजूद एक काल्पनिक पेड़ है।
Natural Habitat Adventures
बाओबाब के पेड़ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया आदि जगहों पर पाए जाते हैं, और ये 10 मीटर व्यास और 20 मीटर ऊंचाई तक बढ़ने वाले बेहद विशाल पेड़ होते हैं। इनकी सूंड मोटी होती है, परन्तु शाखाएँ अपेक्षाकृत पतली होती हैं और पत्तियाँ भी घनी नहीं होती हैं, जिससे यह ऐसा प्रतीत होता है मानो पेड़ को उल्टा करके जमीन में गाड़ दिया गया हो। बाओबाब के पेड़ के इसी रूप के कारण एक मज़ेदार किंवदंती भी है जिसमें कहा जाता है कि भगवान ने गलती से बाओबाब के पेड़ को उल्टा लगा दिया था।
बाओबाब के पेड़ की किंवदंतियों से ज़्यादा दिलचस्प है इसकी आयु। कहा जाता है कि बाओबाब के पेड़ 10,000 साल तक जीवित रह सकते हैं। इनके मोटे तने में भारी मात्रा में पानी जमा हो सकता है, और यही इनकी लम्बी उम्र का कारण माना जाता है। लेकिन हाल ही में यह देखा गया है कि बाओबाब के पेड़ अपनी पूरी आयु पूरी किए बिना ही मर रहे हैं।
ABC न्यूज़ (ऑस्ट्रेलिया) का YouTube चैनल ‘Africa's ancient Baobab trees are mysteriously dying’ वीडियो का स्क्रीनशॉट
अफ्रीका में, 1,000 से 2,000 साल तक जीवित रहने वाले बाओबाब के पेड़ मरने लगे हैं। हालांकि 1000 साल काफी लम्बा समय है, परन्तु बाओबाब के पेड़ के लिए यह उसकी उम्र का सिर्फ़ 10% ही है। यह मान लीजिए कि अगर कोई इंसान 100 साल जी सकता है, तो वह 10 साल की उम्र में ही मर जाए। इससे भी ज़्यादा गंभीर बात है कि बाओबाब के पेड़ मरने का कारण क्या है। पानी से भरपूर बाओबाब के पेड़ सूखकर मर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे तापमान में बढ़ोतरी और जलवायु परिवर्तन के कारण सूखा पड़ना कारण हो सकता है।
IUCN
बाओबाब के पेड़ विलुप्ति के कगार पर भी हैं। विश्व संरक्षण संघ (IUCN) ने बाओबाब के पेड़ को संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची (EN) में शामिल किया है। 10,000 साल तक जीवित रहने वाले बाओबाब के पेड़ का विलुप्ति के कगार पर होना यह दर्शाता है कि पृथ्वी कितने खतरे में है।
बाओबाब के पेड़ को 'द ट्री दैट गिव्स विदाउट टेकिंग' (जो बिना मांगे देता है) का नाम दिया गया है। यह कई जानवरों का घर होता है और इसकी छाल जानवरों का भोजन भी बनती है। इंसान भी बाओबाब के पेड़ के फल से खाना बनाते हैं और इसकी छाल से कपड़े बनाते हैं। इस तरह से कई तरह के जीवों के लिए भोजन और आवास का काम करने वाले बाओबाब के पेड़ अगर ख़त्म हो जाते हैं तो पारिस्थितिकी तंत्र को भारी नुकसान होगा। पारिस्थितिकी तंत्र के ख़राब होने से रोकने के लिए हमें सावधानी बरतने की ज़रूरत है।
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