विषय
- #जलवायु संकट
- #जलवायु परिवर्तन
- #अंटार्कटिका की बर्फ में कमी
- #अंटार्कटिका समुद्री संरक्षित क्षेत्र का नामकरण
- #पर्यावरण
रचना: 2024-01-17
रचना: 2024-01-17 17:44
जब हम 'जलवायु संकट' (Climate Crisis) शब्द सुनते हैं, तो आमतौर पर हम अपनी आँखों में उत्तर ध्रुव (Arctic) के बर्फ के टुकड़ों पर संघर्ष करते हुए ध्रुवीय भालू (Polar Bear) की छवि उभरती देखते हैं। हम सभी जानते हैं कि उत्तर ध्रुव (Arctic) की बर्फ तेजी से पिघल रही है। लेकिन खतरा केवल उत्तर ध्रुव (Arctic) तक ही सीमित नहीं है। दक्षिण ध्रुव (Antarctica) की बर्फ भी कम हो रही है।
NASA
लगभग 25 करोड़ साल पहले बनी दक्षिण ध्रुव (Antarctica) की बर्फ 1980 के दशक से तेजी से कम होने लगी। औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) के बाद से पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ने लगा है, जिसके कारण हमेशा के लिए जमी हुई दक्षिण ध्रुव (Antarctica) की बर्फ भी पिघलने लगी है। 21वीं सदी में दक्षिण ध्रुव (Antarctica) की बर्फ के पिघलने की गति और भी तेज हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि 1990 के दशक की तुलना में वर्तमान में दक्षिण ध्रुव (Antarctica) की बर्फ पिघलने की गति लगभग तीन गुना तेज है।
NSIDC
दक्षिण ध्रुव (Antarctica) की बर्फ साल भर में मौसम के अनुसार बढ़ती और घटती रहती है। लेकिन, अमेरिकी राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (National Oceanic and Atmospheric Administration) की एक शाखा, NSIDC (National Snow and Ice Data Center) द्वारा जारी ग्राफ से पता चलता है कि 2022 में दक्षिण ध्रुव (Antarctica) की बर्फ का औसत क्षेत्रफल 1981 से 2010 के बीच के औसत क्षेत्रफल से कम था, और 2022 की तुलना में 2023 में दक्षिण ध्रुव (Antarctica) की बर्फ का औसत क्षेत्रफल और भी कम था। यदि दक्षिण ध्रुव (Antarctica) की बर्फ इस तरह से कम होती रही, तो इससे न केवल दक्षिण ध्रुव (Antarctica) के आसपास के समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा, बल्कि पूरे विश्व में समुद्र का जलस्तर बढ़ने से कुछ क्षेत्र डूब सकते हैं। इसके अलावा, यदि ध्रुवीय क्षेत्रों की कम नमक वाली बर्फ पिघलती है, तो इससे पृथ्वी के समुद्री जल के संचलन में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
greenpeace
इस तरह से दक्षिण ध्रुव (Antarctica) की बर्फ के कम होने से सबसे पहले दक्षिण ध्रुव (Antarctica) में रहने वाले जीव-जंतुओं को नुकसान होगा। इनमें से दक्षिण ध्रुव (Antarctica) के प्रतिष्ठित जानवर सम्राट पेंगुइन (Emperor Penguin) भी शामिल हैं। दक्षिण ध्रुव (Antarctica) की बर्फ के कम होने के कारण लगभग 10,000 सम्राट पेंगुइन (Emperor Penguin) के बच्चे मारे गए थे। बर्फ के पिघलने से पेंगुइन के रहने के स्थान कम हो गए थे और पेंगुइन के बच्चों के पास समुद्र में तैरने के लिए जरूरी जलरोधी पंख (waterproof feathers) भी पूरी तरह से विकसित नहीं हुए थे, जिसके कारण वे समुद्र में तैर नहीं पाए और मर गए।
दक्षिण ध्रुव (Antarctica) में बर्फ पर गिरी बर्फ में सूक्ष्म प्लास्टिक (Microplastic) के कण भी पाए गए हैं। न्यूजीलैंड (New Zealand) के कैंटरबरी विश्वविद्यालय (Canterbury University) के शोधकर्ताओं ने दक्षिण ध्रुव (Antarctica) के 19 क्षेत्रों में सूक्ष्म प्लास्टिक (Microplastic) के कण पाए हैं। उनका कहना है कि ये सूक्ष्म प्लास्टिक (Microplastic) दक्षिण ध्रुव (Antarctica) से 6,000 किलोमीटर दूर से भी आ सकते हैं। सफेद रंग की बर्फ और बर्फ के अधिकांश हिस्से सूर्य के प्रकाश को परावर्तित कर देते हैं, लेकिन यदि इनमें काले रंग के सूक्ष्म प्लास्टिक (Microplastic) मिल जाते हैं, तो सूर्य के प्रकाश का परावर्तन कम हो जाता है, जिससे बर्फ पिघलने की गति तेज हो जाती है।
pixabay
इसके अलावा, अब दक्षिण ध्रुव (Antarctica) में बर्फ के बजाय बारिश होने लगी है। 2023 में जून और जुलाई के महीनों में दक्षिण ध्रुव (Antarctica) के एक वैज्ञानिक केंद्र में कई बार बारिश हुई थी। दक्षिण ध्रुव (Antarctica) में उस समय सर्दी का मौसम होता है और बर्फानी तूफ़ान आना चाहिए था, लेकिन बारिश होना एक चौंकाने वाली बात है।
दक्षिण ध्रुव (Antarctica) में हो रहे इन असामान्य बदलावों को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संगठन ग्रीनपीस (Greenpeace) दक्षिण ध्रुव (Antarctica) के समुद्री क्षेत्र के 30% से ज़्यादा हिस्से को समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Area) घोषित करने के लिए एक अभियान चला रहा है। लेकिन, कुछ देश दक्षिण ध्रुव (Antarctica) के समुद्र की सुरक्षा के बजाय अपने आर्थिक लाभों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिसके कारण दक्षिण ध्रुव (Antarctica) के समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Area) को घोषित करने के प्रयास बार-बार नाकाम हो रहे हैं। अक्टूबर 2023 में हुए एक सम्मेलन में चीन (China), रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) जैसे कुछ सदस्य देशों के विरोध के कारण समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Area) घोषित नहीं किया जा सका। अब उम्मीद है कि 2024 में होने वाले सम्मेलन में समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Area) घोषित हो जाएगा।
हमारी यही कामना है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अब अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए पर्यावरण की रक्षा को नजरअंदाज न करे।
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